मन का चैन

\\मन का चैन\\*

एक गरीब आदमी था वो हर रोज अपने गुरु के आश्रम जाकर वहां साफ-सफाई करता और फिर अपने काम पर चला जाता था। 

अक्सर वो अपने गुरु से कहता कि आप मुझे आशीर्वाद दीजिए तो मेरे पास ढेर सारा धन-दौलत आ जाए एक दिन गुरु ने पूछ ही लिया कि क्या तुम आश्रम में इसीलिए काम करने आते हो। 

उसने पूरी ईमानदारी से कहा कि हां, मेरा उद्देश्य तो यही है कि मेरे पास ढेर सारा धन आ जाए, इसीलिए तो आपके दर्शन करने आता हूं पटरी पर सामान लगाकर बेचता हूं पता नहीं, मेरे सुख के दिन कब आएंगे गुरु ने कहा कि तुम चिंता मत करो। 
जब तुम्हारे सामने अवसर आएगा तब ऊपर वाला तुम्हें आवाज थोड़ी लगाएगा। बस, चुपचाप तुम्हारे सामने अवसर खोलता जाएगा युवक चला गया समय ने पलटा खाया, वो अधिक धन कमाने लगा इतना व्यस्त हो गया कि आश्रम में जाना ही छूट गया।  
कई वर्षों बाद वह एक दिन सुबह ही आश्रम पहुंचा और साफ-सफाई करने लगा गुरु ने बड़े ही आश्चर्य से पूछा--क्या बात है, इतने बरसों बाद आए हो, सुना है बहुत बड़े सेठ बन गए हो वो व्यक्ति बोला--बहुत धन कमाया।

अच्छे घरों में बच्चों की शादियां की, पैसे की कोई कमी नहीं है पर दिल में चैन नहीं है ऐसा लगता था रोज सेवा करने आता रहूं पर आ ना सका गुरुजी, आपने मुझे सब कुछ दिया पर जिंदगी का चैन नहीं दिया गुरु ने कहा कि तुमने वह मांगा ही कब था?  

जो तुमने मांगा वो तो तुम्हें मिल गया ना
फिर आज यहां क्या करने आए हो ? उसकी आंखों में आंसू भर आए, गुरु के चरणों में गिर पड़ा और बोला --अब कुछ मांगने के लिए सेवा नहीं करूंगा बस दिल को शान्ति मिल जाए गुरु ने कहा--पहले तय कर लो कि अब कुछ मागने के लिए आश्रम की सेवा नहीं करोगे, बस मन की शांति के लिए ही आओगे। गुरु ने समझाया कि चाहे मांगने से कुछ भी मिल जाए पर दिल का चैन कभी नहीं मिलता इसलिए सेवा के बदले कुछ मांगना नहीं है वो व्यक्ति बड़ा ही उदास होकर  गुरु को देखता रहा और बोला--मुझे कुछ नहीं चाहिए आप बस, मुझे सेवा करने दीजिए सच में, मन की शांति सबसे अनमोल है।।

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